एक दिन सभी शिष्य अपने गुरु के पास गए और बोले की वो दुनिया भर के सभी धार्मिक स्थानो पर जाना चाहते है ताकि उनका मन स्वच्छ और पवित्र हो जाए और उनके अंदर एक बदलाव (improvement) आ सके। गुरु चंद पलो के शांत रहे और फिर उन्हे एक एक करेला दिया और बोले की जिस जिस जगह तुम घूमो तो अपने साथ ये करेला जरूर रखना। इसका कारण मै तुम्हें तुम्हारे वापस आने के बात बताऊंगा। सभी ने उनकी आज्ञा का पालन किया और उनके कहे अनुसार ही किया। वो जिस जिस पवित्र जगह गए, उन्होने करेले को भी अपने साथ रखा। पूरी यात्रा करने के बाद वापस जब वो लोटे तो गुरु जी ने उनसे पूछा की जिस काम के लिए वो गए थे क्या वो पूरा हुआ। क्या उनका मन शांत हुआ? सभी के चहरे पर मायूसी थी। तभी गुरु ने एक शिष्य से कहा की सभी से वो करेला ले लो और उसकी सब्जी बनाकर दो।
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शिष्य ने ऐसा ही किया। खाते ही गुरु ने गुस्से से कहा सभी तीर्थ स्थानो पर ले जाने के बावजूद भी की इन करेलो का स्वाद तो बहुत कड़वा है और उनसे इसका कारण पूछा। सभी शिष्य हैरान थे। तभी उनमे से एक ने कहा की करेला तो प्राक्रतिक रूप से ही कड़वा होता है। तीर्थ यात्रा पर जाने से इसका स्वाद तो नहीं बदल सकता। तभी गुरु ने कहाँ की बिलकुल सही। मै भी तुम्हें यही समझाना चाहता हूँ। जब तक इंसान अपने आप मे खुद बदलाव नहीं लाएगा कोई भी गुरु या यात्रा उसकी ज़िंदगी नहीं बदल सकती। सभी तीर्थ यात्राएं वास्तव मे हमारे मन के अंदर ही बसी है। जरूरत है सिर्फ ध्यान से देखनी की.
गुरु शिष्य की कहानी हमारी ज़िंदगी पर भी लागू होती है। हम कई बार अपने अंदर कुछ बदलाव(improvement) तो लाना चाहते है लेकिन लाने की ठीक से कोशिश नहीं करते और हज़ार तरीके के बहाने तैयार कर लेते है। कोई अच्छा माहौल न होने का तर्क देता है तो कोई संसाधन की कमी का।
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जिस तरह नीम और करेले का स्वाद कड़वा, इमली का स्वाद खट्टा और हर फल का अपना स्वाद होता होता है ठीक उसी तरह हर इंसान का स्वभाव भी अलग अलग होता है। मनोविज्ञान के अनुसार कोई भी इंसान अपने आप को बदल नहीं सकता सिर्फ अपने आप मे सुधार(improvement) कर सकता है। और सुधार (improvement) करने के लिए अपनी कमियों को पहचानना जरूरी है जो सिर्फ हम खुद ही कर सकते है।
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अपने जीवन को बदलने को बदलने के लिए आपको केवल एक इंसान की जरूरत होती है वह है आप खुद – रूमी
नजरों को बदलो तो नजरिए बदल जाते है
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है
कशतीयां बदलने की जरूरत नहीं है
अपने आप को बदलो
तो किनारे खुद-ब-खुद मिल जाते है।
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