Tuesday 2 May 2017

आईटी प्रोफेशनल ने नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी स्टार्टअप

आईटी प्रोफेशनल ने नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी स्टार्टअप

संतोष डी सिंह को नौकरी छोड़, डेयरी के काम में मिला संतोष। डेयरी फार्मिंग का नहीं था कोई तजुर्बा, लेकिन फिर भी नौकरी छोड़ लग गये डेयरी फार्मिंग में और शुरू कर दिया डेयरी स्टार्टअप।


कुछ लोग अपनी धुन के पक्के होते हैं और संतोष डी सिंह उनमें से एक हैं, जिन्होने बैंगलौर से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद शुरूआती दस साल सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में लगा दिये। इस दौरान संतोष ने डेल और अमेरिका ऑनलाइन के लिए काम किया। ये उस वक्त की बात है, जब भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का काफी चलन था । उसी दौरान उन्हें काम के सिलसिले में दुनिया घूमने का भरपूर मौका मिला और उन्होंने ये जाना कि पैसा कमाने के और भी जरिये हैं नौकरी करने के सिवा।

गुलाबी शर्ट में संतोष डी सिंह
संतोष के पास डेयरी फार्मिंग से जुड़ा कोई अनुभव नहीं था। इसलिए उन्होने राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण के लिए अपना नामांकन करवा लिया।
संतोष डी सिंह ने अपने फैसले की जानकारी परिवार को देने के बाद कॉरपोरेट वर्ल्ड से नाता तोड़ लिया और अपने विचारों को मूर्त रूप देने में जुट गये। इस दौरान उन्होंने परियोजना प्रबंधन, प्रक्रिया में सुधार, कारोबार की समझ, विश्लेषण, और संसाधनों के प्रबंधन पर ध्यान देना शुरू किया, जो उन्होंने कॉरपोरेट वर्ल्ड में सालों की मेहनत के दौरान सीखा था।
संतोष के मुताबिक अप्रत्याशित इस दुनिया में उनका विचार था कि डेयरी फार्मिंग में स्थायित्व के साथ-साथ फायदा भी है। ये एक ऐसा काम था, जिसके लिए उनको ना सिर्फ एसी वाले कमरों से बाहर निकलना था, बल्कि उनके लिये ये एक उत्साहवर्धक अनुभव था। संतोष के पास डेयरी फार्मिंग से जुड़ा कोई अनुभव नहीं था। इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण के लिए अपना नामांकन करवा लिया। शिक्षा के हिस्से के तौर पर संतोष डेयरी फार्मिंग से जुड़े कई अनुभव हासिल किये। इस दौरान उन्होंने सीखा कि गाय पालन कैसे किया जाता है। जिससे उनमें विश्वास आया, कि वे इस काम को लंबे समय तक कर सकते हैं। साथ ही उनको ये भी लगने लगा, कि ये वास्तव में एक बेहतरीन कारोबार है।


करीब छ: साल पहले संतोष ने अपने काम की शुरूआत की थी। शुरूआत में उन्होने अपनी तीन एकड़ जमीन में तीन गायों को रखा। इस दौरान उन्होंने दूध उत्पादन का काम शुरू किया, साथ ही गायों की देखभाल, उनको नहलाना, दूध निकालना और साफ सफाई का काम खुद ही किया। 
शुरूआत में संतोष ने 20 गायों से अपना काम शुरू करने का मन बनाया और उसी को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचा तैयार किया। लेकिन एनडीआरआई के एक ट्रेनर, जिनसे संतोष ने प्रशिक्षण लिया था उन्होंने उनको सलाह दी कि वे इस मामले में तकनीकी मदद के लिए नाबार्ड से जानकारी लें। संतोष ने जब नाबार्ड में इस संबंध में बातचीत की, तो उनको पता चला कि संसाधनों के सही इस्तेमाल से उनको लाभ हो सकता है, जरूरत है काम को बड़ा करने की और मवेशियों की संख्या को 100 तक करने की। इससे उनको हर रोज डेढ़ हजार लीटर दूध मिलेगा और एक अनुमान के मुताबिक उनका वार्षिक कारोबार 1 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
पिछले कुछ सालों के दौरान डेयरी उत्पादों के दाम तेजी से चढ़े हैं और इस कारोबार में मार्जिन काफी अच्छा है। संतोष का आत्मविश्वास उस वक्त और बढ़ा जब नाबार्ड ने उनको डेयरी फार्मिंग के लिए सिल्वर मेडल से सम्मानित किया। जिसके बाद स्टेट बैंक ऑफ मैसूर उनके प्रोजेक्ट में निवेश के लिए तैयार हो गया। इस निवेश से उनके काम में तेजी आ गई और उन्होने 100 गायों को रखने के लिए आधारभूत ढांचे पर काम करना शुरू कर दिया। इसके साथ-साथ उनके मन में एक विचार और भी आ रहा था और वो विचार था, सूखे के हालात (जब हरा चारा मिलना मुश्किल होता है)।
जिस दौरान संतोष ने अपना डेयरी का काम शुरू किया उस दौरान बेमौसम बारिश होने से आसपास के इलाकों में सूखे जैसे हालात बन गये थे और हरे चारे के दाम दस गुणा तक बढ़ गये। हर रोज उत्पादन भी गिरने लगा और वो अपने निचले स्तर तक पहुंच गया। हालात इतने खराब हो गए कि संतोष को अपनी बचत का पैसा भी इस काम में लगाना पड़ा, लेकिन उन्होंने परिस्थितियों से घबरा कर अपने काम को रोका नहीं बल्कि जारी रखा और ऐसे हालात से निपटने के लिए उपाय ढूंढने शुरू कर दिये। उन्होंने फैसला लिया कि उनको हाइड्रोफॉनिक्स के जरिये हरा चारा पैदा करना चाहिए। जिसे पाने के लिए लागत भी व्यावसायिक रूप से कम पड़ती है।
संतोष को शुरूआती दिनों में मौसम का नकारात्मक प्रभाव अपने काम पर झेलना पड़ा, लेकिन अगले ही साल बारिश अच्छी हुई और संतोष दूध का उत्पादन बढ़ाने में सक्षम हो गये। अब संतोष अपने काम को बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं और डेयरी उद्योग को एक नई दिशा देते हुए लोगों के सामने उदाहरण के रूप में खुद को खड़ा कर चुके हैं, कि कैसे एकआईटी प्रोफेशनल एसी कमरों और बिज़नेस क्लासहवाई यात्रा की नौकरी छोड़ डेयरी उद्योग की ओर मुड़ कर उसे भी बेहतरीन तरीके से करता है।

हर ताज़ा अपडेट पाने के लिए के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें।

Share your friends & More updates ऐसी ही नयी पोस्ट्स ईमेल में प्राप्त करें. It's Free


No comments:

Post a Comment

Popular Posts