Saturday 15 April 2017

भारत की इन सात रहस्यमयी जगहों की सच्चाई से वैज्ञानिक आजतक पर्दा उठाने में रहे हैं नाकामयाब!

हमेशा से ही इंसान कुछ ऐसी चीजों के प्रति दीवाना रहा है जो उसके समझ से परे होती है। इंसान हमेशा से जीवन में रोमांच चाहता है, इसी वजह से जहाँ भी उसे इस तरह की चीजें दिखती है, वह उसके बारे में जानना चाहता है और उसे कभी नहीं भूल पाता है। भारत एक बहुत बड़ा देश है, यहाँ कुछ ऐसी भी चीजें और जगहें हैं, जिनके बारे में आजतक कोई नहीं जान पाया है। जो लोग जानते भी हैं, वह भी इसकी सच्चाई से पूरी तरह अंजान हैं। आज हम भारत की कुछ ऐसी ही रहस्यमयी जगहों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसकी सच्चाई से वैज्ञानिक भी पर्दा नहीं उठा पाए हैं।


हिमालय पर्वत (यति, ऋषि-मुनि, लाल हिम, भूत-प्रेत):


हिमालय पर्वत दुनियाँ का सबसे ऊँचा और विशाल पर्वत है। यह जितना विशाल है, उतनी ही इसके बारे में कहानियाँ और किस्से प्रचलित हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ पर अमर जिव यति रहते हैं। इसके अलावा हिममानव के होने की भी बात की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि हिममानव तिब्बत और नेपाल के इलाकों में कई बार देखे भी गए हैं। यहाँ के बारे में एक और बात सबसे ज्यादा चर्चित रह चुकी है कि यहाँ पर लाल हिमवर्षा भी होती है, जिसे पर्वतारोहियों ने देखा है। इस भयानक ठंढ में वहाँ ध्यानमग्न ऋषि-मुनि भी रहते हैं। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि यहाँ के खतरनाक दरारों में कई लोगों ने अपनी जान गँवाई है जो भूत के रूप में दीखते रहते हैं।

*- कुलधारा-राजस्थान (भूत-नगर):


यह गाँव राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है, इस गाँव को सन 1800 के आस-पास यहाँ के रहने वालों ने छोड़ दिया था। इसके बारे में कहा जाता है कि यह गाँव श्रापित गाँव है। इस समय इस गाँव में कोई नहीं रहता है लेकिन हमेशा से यह गाँव ऐसा नहीं था। एक समय था जब यह गाँव पूरी तरह से भरा-पूरा रहता था। इस गाँव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था। इस गाँव की बर्बादी के पीछे एक कहानी है कि यहाँ की पुरानी रियासत में सालिम सिंह नाम का एक मंत्री था, जिसका दिल पालीवाल ब्राह्मणों के मुखिया की बेटी पर आ गया। उसने शादी का प्रस्ताव रखा और शादी ना करने पर गांवालों को ज्यादा कर देने की धमकी दी। ब्राह्मणों ने इस मुसीबत से हमेशा पीछा छुड़ाने के लिए 1825 की एक रात को पुरे गाँव सहित कहीं चले गए और लौटकर कभी वापस नहीं आये। इस घटना के बाद यह गाँव खाली पड़ा हुआ है और इस गाँव में कोई नहीं रहता है।

*- बंगाल के दलदल (आलेय प्रेत रौशनी):


आलेया रौशनी या दलदली रौशनी पक्षिम बंगाल के मछुवारों के बीच काफी लोकप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि इस रौशनी की तरफ जो भी व्यक्ति आकर्षित होकर चला जाता है, वह दलदल में जाकर फँस जाता है। लेकिन इसे ज्यादा ख़राब नहीं माना जाता है, कई बार यह रौशनी लोगों को आने वाले खरते से भी आगाह करती है।

*- बन्नी ग्रासलैंड रिज़र्व- कच्छ का रण (चीर बत्ती):


बन्नी ग्रासलैंड के नाम से प्रसिद्ध यह लैंड रिज़र्व गुजरात के कच्छ रेगिस्तान के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह मौसमी ग्रासलैंड है जो हर साल बरसात के मौसम में ही बनता है। यहाँ के स्थानीय लोगों के अनुसार रात में यहाँ अजीबो-गरीब घटनाएं होती हैं, उन्हें रात के समय डांस लाइट दिखती है। इसे स्थानीय लोग “चीर बत्ती” के नाम से जानते हैं। उनका कहना है कि यह बत्ती कभी तेजी से भागती है तो कभी एक ही स्थान पर रहती है। लोगों का कहना है कि यह घटना सदियों से हो रही है। वहाँ के कई स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि कई बार बत्ती उनका पीछा भी करती है। लेकिन वैज्ञानिकों की माने तो दलदली क्षेत्र में मीथेन गैस निकलती है और यह मीथेन गैस के ऑक्सीडेशन की वजह से होता है।

*- गंगा और ब्रम्हपुत्रा डेल्टा की अस्पष्ट आवाज़ें:


ऐसा कहा जाता है कि गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के डेल्टा के इलाकों में नदियों के घर्षण से निकलने वाली अजीब आवाज सुनी जाती है। इसे सुनकर ऐसा लगता है जैसे कोई सुपरसोनिक विमान आसपास उड़ रहा हो। इस आवाज के पीछे की असली सच्चाई तो कोई नहीं जानता है लेकिन सबने इसे अपने तरह से बताने का प्रयास किया है। कुछ लोगों ने इसे भूकम्प, मिट्टी के तूफ़ान, सूनामी, उल्कापिंडों और हवाई गुबारों की वजह से बताया है।

*- कोंगका ला पास – अक्साई चीन, लद्दाख ( इंडो-चाइनिज यू.एफ.ओ. बेस):


कोंग्का ला पास हिमालय के अक्साई चीन के नजदीक भारत और चीन का विवादित स्थान है। चीन के लोग इस जगह को अक्साई चीन और भारत के लोग इसे लद्दाख के नाम से जानते हैं। यह स्थान पूरी दुनियाँ के सबसे निर्जन इलाकों में से एक माना जाता है, इस जगह पर समझौते के अनुसार पेट्रोलिंग भी नहीं होती है। यहाँ रहने वाले स्थानीय लोगों के अनुसार इस जगह पर यूएफओ बेस है, जिसके बारे में दोनों देशों की सरकार जानती है। यह जगह पूरी तरह से पर्यटक स्थल है, बावजूद इसके यहाँ पर्यटकों को जाने से रोका जाता है।

*- जतिंगा सामूहिक पक्षी आत्महत्या:



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Chyaa Bhaavat

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